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उत्तराखंड के उच्च न्यायालय नैनीताल द्वारा हिमालयी बुग्यालों में रात्रि विश्राम पर रोक लगाने के बाद स्थानीय लोगों से लेकर पर्यटन व्यवसाय से जुड़े कारोबारियों और सरकार में असमंजस की स्थिति बनी हुई है. राज्य सरकार का कहना है कि अगर हाईकोर्ट के निर्देश राज्य की पर्यटन गतिविधियों के अनुकूल नहीं हुई तो, पूरी मजबूती के साथ न्यायालय के सामने पुन: अपना पक्ष रखेगी. आली, बेदनी, बागजी बुग्याल संरक्षण समिति की एक याचिका पर सुनवाई करते हुए बीते 21 अगस्त को हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को उच्च हिमालयी क्षेत्रों में स्थित बुग्यालों को लेकर दिशा-निर्देश जारी किए थे. इसके तहत बुग्यालों में बनाए गए परमानेंट निर्माण को 3 माह के अंदर हटाने के साथ ही बुग्यालों में रात्रि विश्राम को बंद करने के निर्देश दिए गए हैं. पर्यटन को पंख देने के लिए ईको टूरिज्म की अनेकों योजनाएं भी पाइप लाइन में हैं. मालूम हो कि पर्यटक कई कई दिनों तक कैंप लगाकर हिमालय की खूबसूरती का दीदार करते हैं.
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