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कोटद्वार में हुई तबाही के बाद आखिरकार प्रशासन नींद से जागा है. प्रशासन ने गदेरों में हुए अतिक्रमण को चिन्हित कर ध्वस्त किए जाने की योजना बनाई गई है. पहले चरण में पनियाली गदेरे से अतिक्रमण हटाया जाएगा जिसके बाद गिवई स्रोत से अवैध निर्माण ध्वस्त किए जाएंगे. दो बार की आपदा झेल चुके कोटद्वार में जल-प्रलय का प्रमुख कारण नदी-नालों में अतिक्रमण माना जा रहा है. दरअसल जिस पनियाली गदेरे में आए उफान से कोटद्वार में दो बार आपदा आई उस गदेरे की चौड़ाई बीते सालों की तुलना में बेहद कम हो चुकी है. गदेरे के किनारे हुए अवैध निर्माणों के चलते गदेरा सिकुड़ गया है. इसकी वजह से पिछले साल भी गदेरे के सैलाब से कोटद्वार में भारी तबाही मची थी, जिसमें पांच लोगों की मौत हुई थी और इस बरसात में भी एक महिला इस तबाही का शिकार हो चुकी है. हैरानी की बात है कि पिछले साल की तबाही झेलने के बाद भी प्रशासन ने इस पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया. अब सिंचाई विभाग के अधिशासी अभियंता दावा कर रहे हैं कि एक हफ़्ते में चिन्हीकरण कर प्रशासन को रिपोर्ट सौंप दी जाएगी. स्थानीय विधायक और कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत भी राजनीति को किनारे कर जल्द से जल्द अतिक्रमण हटाने की बात करते हैं और कहते हैं कि इसकी वजह से कोटद्वार के मुख्य बाज़ार झंडाचौक तक ख़तरा पहुंच गया है. (अनुपम भारद्वाज की रिपोर्ट)
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