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उत्तराखंड में नॉर्थ ईस्ट (नागालैंड और मणिपुर) से बीते 19 नवंबर को उड़े लोंगलेंग और तामेंगलांग नाम के अमूर फाल्कन (पक्षी) बंगाल की खाड़ी और अरब सागर को पार कर करीब 6 हजार किलोमीटर की यात्रा तय कर सोमालिया (देश) पहुंच गए हैं. अमूर फाल्कन की रोमांच से भरी पल-पल की यात्रा पर भारतीय वैज्ञानिक बारीकी से नजर रख रहे हैं. बता दें कि 'अमूर फाल्कन' कबूतर के आकार का एक बाज प्रजाति का प्रवासी पक्षी है, जो मूलत: रूस के साइबेरिया क्षेत्र का बाशिंदा है. हर साल अक्टूबर से नवंबर माह के बीच लाखों की संख्या में भारत के नागालैंड और मणिपुर में भी देखा जाता है, लेकिन यहां हजारों की संख्या में ये पक्षी मांस के लिए मार दिए जाते हैं. जब अवैध शिकार का ये मामला उठा तो भारतीय वैज्ञानिकों का ध्यान इस पक्षी की ओर गया. भारतीय वन्य जीव संस्थान और देहरादून के वैज्ञानिकों ने साल 2013 में तीन फाल्कन पक्षियों पर सैटेलाइट चिप लगाई. ताकि पता किया जा सके कि ये पक्षी कहां से आते हैं और कहां चले जाते हैं.
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