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प्रशासन से मदद नहीं मिली तो अगोड़ा और दंदालका के ग्रामीणों ने छानियों में फंसे अपने मवेशियों को निकालने के लिए श्रमदान कर घट्टूगाड में अस्थाई पुलिया बना डाली. पुलिया बनाकर ग्रामीण अपने मवेशियों को मोरापड़ा, मोरसुना और सिल्याण छानियों से सुरक्षित गांव लौटा लाए. लेकिन अब उन्हें अगले साल की चिंता सता रही है. बता दें कि वर्ष 2012 में असी गंगा में आयी बाढ़ में घट्टूगाड में बना जिला पंचायत का पैदल पुल बह गया था. जिला पंचायत ने तीन सालों तक अस्थाई पुलिया तैयार करने पर लाखों रुपये खर्च किये. लेकिन हर साल बरसात में पानी बढ़ने पर यह व्यवस्था धराशायी होती रही. इसके बाद बीते दो सालों से जिला पंचायत ने भी यहां पुलिया बनाने की जहमत नहीं उठाई. हालांकि प्रशासन ने यहां एक ट्राली लगाकर आवाजाही की व्यवस्था की है. लेकिन इससे मवेशियों को लाना ले जाना संभव नहीं है. ऐसे में बीते जुलाई माह से अगोड़ा और दंदालका गांव के करीब चालीस परिवार अपने 150 से अधिक मवेशियों के साथ छानियों में ही फंसे हुए थे. (उत्तरकाशी से जगमोहन सिंह की रिपोर्ट)
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